खतना क्या होता है? मुस्लिम लोग खतना क्यों करवाते हैं?

खतना, जिसे अंग्रेजी में Circumcision कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पुरुष शिशु या पुरुष के जननांग (लिंग) के अग्रत्वचा (foreskin) को चिकित्सा प्रक्रिया द्वारा हटाया जाता है। यह प्रथा दुनिया के विभिन्न समुदायों में सांस्कृतिक, धार्मिक, और चिकित्सा कारणों से की जाती है। खासतौर पर मुस्लिम समुदाय में इसे धार्मिक प्रथा के रूप में देखा जाता है।

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खतना का इतिहास

खतना की परंपरा का इतिहास हजारों साल पुराना है। यह प्रक्रिया सबसे पहले यहूदियों में धार्मिक अनुष्ठान के रूप में शुरू हुई थी। इस्लाम धर्म में खतना को सुन्नत (पैगंबर मुहम्मद साहब के जीवन के आदर्शों का पालन) का हिस्सा माना जाता है। इसके अलावा, कुछ अफ्रीकी और एशियाई संस्कृतियों में भी यह प्रथा पाई जाती है।

मुस्लिमों में खतना क्यों किया जाता है?

मुस्लिम समुदाय में खतना का धार्मिक और स्वास्थ्य दोनों दृष्टिकोण से महत्व है:

1. धार्मिक कारण

  • सुन्नत का पालन: मुस्लिम धर्मग्रंथों के अनुसार, खतना करना पैगंबर इब्राहीम (अ.) और पैगंबर मुहम्मद (स.) की सुन्नत है। इसे इस्लामी पहचान और धार्मिक अनुष्ठान के रूप में देखा जाता है।
  • पवित्रता का प्रतीक: इस्लाम में शरीर और आत्मा दोनों की स्वच्छता पर जोर दिया गया है। खतना को शरीर को पवित्र रखने के एक तरीके के रूप में माना जाता है।

2. स्वास्थ्य कारण

  • संक्रमण से बचाव: चिकित्सा दृष्टिकोण से, खतना पुरुषों को मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI) और अन्य यौन संचारित रोगों (STDs) के खतरे को कम करता है।
  • स्वच्छता में सुधार: अग्रत्वचा को हटाने से जननांग क्षेत्र की सफाई करना आसान हो जाता है, जिससे बैक्टीरिया और संक्रमण का खतरा कम होता है।
  • कैंसर का जोखिम कम करना: कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि खतना किए गए पुरुषों में लिंग के कैंसर का जोखिम कम होता है।

खतना कब और कैसे किया जाता है?

खतना आमतौर पर जन्म के कुछ दिनों या महीनों बाद किया जाता है। हालांकि, कुछ मुस्लिम समुदायों में इसे बचपन या किशोरावस्था में भी किया जाता है। यह प्रक्रिया एक प्रशिक्षित डॉक्टर या धार्मिक व्यक्ति द्वारा की जाती है।

प्रक्रिया:

  1. शिशुओं में: नवजात शिशुओं में यह प्रक्रिया छोटी होती है और जल्दी ठीक हो जाती है।
  2. बड़े बच्चों या वयस्कों में: इसमें थोड़ा अधिक समय और देखभाल की आवश्यकता होती है।

खतना से जुड़ी गलत धारणाएं

कुछ लोग खतना को केवल धार्मिक कट्टरता का हिस्सा मानते हैं, जबकि यह एक सांस्कृतिक और चिकित्सकीय परंपरा भी है। कई अध्ययनों ने इसके स्वास्थ्य लाभों की पुष्टि की है।

अन्य धर्मों और संस्कृतियों में खतना

मुस्लिमों के अलावा, यहूदी धर्म में भी खतना को धार्मिक परंपरा का हिस्सा माना जाता है। ईसाई धर्म में यह व्यापक रूप से प्रचलित नहीं है, लेकिन अफ्रीकी और कुछ एशियाई संस्कृतियों में इसे सांस्कृतिक कारणों से अपनाया गया है।

खतना पर आधुनिक दृष्टिकोण

आधुनिक समय में, खतना को लेकर समाज में अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। कुछ लोग इसे धार्मिक और स्वास्थ्य लाभों के लिए सही मानते हैं, तो कुछ इसे अनावश्यक मानते हैं। हालांकि, चिकित्सा विशेषज्ञ इसे व्यक्तिगत निर्णय के रूप में देखते हैं।

क्या लड़कियों का भी खतना होता है?

लड़कियों का खतना, जिसे फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (FGM) या खफद भी कहा जाता है, एक प्रथा है जिसमें महिला जननांग के कुछ हिस्सों को हटाया या बदला जाता है। यह प्रक्रिया विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में की जाती है, लेकिन इसे व्यापक रूप से मानवाधिकारों का उल्लंघन माना जाता है।

क्या है लड़कियों का खतना?

लड़कियों का खतना एक पारंपरिक प्रक्रिया है जिसमें महिला जननांग (क्लिटोरिस और आसपास के ऊतक) को आंशिक रूप से या पूरी तरह से हटा दिया जाता है। इसका उद्देश्य अक्सर महिलाओं के यौन अनुभव को नियंत्रित करना होता है।

एफजीएम के प्रकार:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे चार प्रकारों में वर्गीकृत किया है:

  1. प्रकार 1 (क्लिटोरिडेक्टॉमी): केवल क्लिटोरिस या उसके हिस्से को हटाना।
  2. प्रकार 2 (एक्सिशन): क्लिटोरिस और लेबिया मिनोरा को आंशिक या पूर्ण रूप से हटाना।
  3. प्रकार 3 (इन्फिब्यूलेशन): जननांग क्षेत्र को सील कर देना, जिससे केवल मूत्र और मासिक धर्म का प्रवाह हो सके।
  4. प्रकार 4: किसी भी अन्य प्रकार की प्रक्रिया जो जननांग को नुकसान पहुंचाए, जैसे छेद करना, काटना या जलाना।

यह प्रथा कहां प्रचलित है?

लड़कियों का खतना कुछ विशेष समुदायों और देशों में प्रचलित है, जैसे:

  • अफ्रीकी देश: सोमालिया, इथियोपिया, सूडान, मिस्र।
  • एशियाई देश: यमन, इंडोनेशिया, मलेशिया।
  • भारत: दाऊदी बोहरा समुदाय में इसे सांस्कृतिक प्रथा के रूप में अपनाया जाता है।

क्यों किया जाता है लड़कियों का खतना?

यह प्रथा मुख्य रूप से सांस्कृतिक, धार्मिक, और सामाजिक कारणों से की जाती है:

1. यौन नियंत्रण:

  • महिलाओं की यौन इच्छाओं को कम करने के लिए इसे अपनाया जाता है।
  • इसे शुद्धता और विवाह से पहले यौन संबंधों को रोकने का एक तरीका माना जाता है।

2. धार्मिक परंपराएं:

  • हालांकि कुरान या इस्लामिक धर्मग्रंथों में इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है, फिर भी कुछ मुस्लिम समुदाय इसे धार्मिक प्रथा मानते हैं।

3. सामाजिक मान्यताएं:

  • कुछ समाजों में इसे महिलाओं के लिए “सामाजिक स्वीकार्यता” का प्रतीक माना जाता है।
  • इसे परिपक्वता और महिला के “शुद्ध” होने का संकेत माना जाता है।

खतना का महिलाओं पर प्रभाव

1. शारीरिक नुकसान:

  • तेज दर्द और संक्रमण।
  • गर्भावस्था और प्रसव में जटिलताएं।
  • मूत्र और मासिक धर्म की समस्याएं।

2. मानसिक और भावनात्मक प्रभाव:

  • डिप्रेशन, चिंता, और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)।
  • आत्मसम्मान और यौन जीवन पर नकारात्मक प्रभाव।

3. स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं:

  • बांझपन।
  • लंबे समय तक रक्तस्राव और गंभीर संक्रमण।
  • यौन संबंधों में दर्द।

भारत में लड़कियों का खतना

भारत में यह प्रथा मुख्य रूप से दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में पाई जाती है। इसे खफद कहा जाता है और आमतौर पर 6 से 12 साल की लड़कियों के साथ किया जाता है।

भारत में कानूनी स्थिति:

  • भारत में लड़कियों का खतना स्पष्ट रूप से अवैध नहीं है, लेकिन यह पॉक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offenses Act) और अन्य बाल संरक्षण कानूनों के तहत आ सकता है।
  • सुप्रीम कोर्ट में इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए याचिकाएं दायर की गई हैं।

लड़कियों के खतने पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

1. मानवाधिकार उल्लंघन:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), संयुक्त राष्ट्र (UN), और अन्य संगठनों ने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन घोषित किया है।

2. वैश्विक कानून:

कई देशों में एफजीएम पर प्रतिबंध लगाया गया है। जैसे, अमेरिका, ब्रिटेन, और यूरोपीय देशों में यह गैर-कानूनी है।

निष्कर्ष

खतना मुस्लिम धर्म की एक महत्वपूर्ण प्रथा है, जो धार्मिक और स्वास्थ्य संबंधी उद्देश्यों को पूरा करती है। यह प्रक्रिया प्राचीन समय से चली आ रही है और आज भी इसे कई संस्कृतियों में अपनाया जाता है। हालांकि, इस परंपरा को अपनाने का निर्णय व्यक्तिगत या पारिवारिक विश्वासों पर निर्भर करता है।

नोट: खतना एक संवेदनशील विषय है, इसलिए इसके बारे में निर्णय लेने से पहले चिकित्सा और धार्मिक विशेषज्ञों से परामर्श करना उचित है।